माया अग्रवाल की कविता "जीवन"
जीवन एक दरिया है,
बहता रहता है।
जीवन एक पहिया है,
बोझ ढोता रहता है।
जीवन एक संघर्ष है,
जूझता रहता है,
झूमता रहता है।
जीवन एक प्यास है,
तृप्ति हेतु भटकता है।
जीवन वात्सल्य है,
प्रेम लूटाता है।
जीवन आत्मा है,
चोला बदलता है।
जीवन पिंजड़ा है,
बंधनों से बंधा है।
जीवन एक पेंसिल है,
शॉपनर रूपी समाज।
छिलता रहता है।
जीवन समझौता है।।
रचयिता माया अग्रवाल
आप अयोध्या में जन्मी ,अब भोपाल में रहती हैं। आप बहुत अच्छी कवित्री हैं, साहित्य में रुचि रखती हैं। साहित्य सम्मेलन 2006 में लंदन में भागीदारी कर चुकी हैं। आपके लेख तथा कहानियों का प्रकाशन जागरण नई दुनिया में होता रहा है।