विभा नैनीवाल की कलम से , जैसा कि हम सभी जानते है कि आज पूरी दुनिया कॉरोना जैसी महामारी से जूझ रही है। एक तरफ पूरी प्रकृती का संतुलन बिगड़ा हुआ है, कहीं बाड़, कहीं सूखा, कहीं भूकम्प।
ऐसी विषम परिस्थतियो में भी जो सुंदर दृश्य हमे देखने मिल रहा है हमारे देश में - श्री राम जन्मभूमि के भूमि-पूजन का, मन अत्यधिक आल्हादित है, आनंदित है, प्रफुल्लित हो रहा है। आज मानो हमारे पूर्वज, ऋषि मुनियों, संतो महात्माओं, युग मनिशियो द्वारा कहीं गईं बातें सत्य होती नजर आ रहीं हैं। मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण। मानो सारी कल्पनाएं साकार होती दिख रहीं हैं। एक सुंदर सपना साकार होता दिख रहा है। बस इसी सुंदर सपने को मैं अपने काव्य में ढालने का प्रयत्न कर रहीं हूं।
सर्वप्रथम हमारे प्रधान मंत्रीजी के लिए दो पंक्तियां समर्पित कर रही हूं।
नींव ही तो भवन का आधार होती है,
भूमि पूजन के समय मनुहार होती है।
नींव का पत्थर बने जो वह धन्य होता है
शिलान्यासों में उसी की याद होती है।।
नींव ही तो भवन का आधार होती है। नींव ही तो भवन का आधार होती है।
विभा नैनीवाल की कविताः आज मेरा मन प्रफुल्लित हो, कुछ गा रहा है
आज मेरा मन प्रफुल्लित हो कुछ गा रहा है।।
आज सपना साकार होता नज़र आ रहा है।।
नई रूप रेखा बनी ज़िंदिगी की।
नई चांदनी अब खिलेगी खुशी की।।
हृदय प्यार से मानवों का भरेगा।
नमन शत धरा को गगन अब करेगा।।
नया चंद्रमा शांति बरसा रहा है।
नए ज्ञान का सूर्य मुस्का रहा है।।
आज मेरा मन प्रफुल्लित हो कुछ गा रहा है।
आज सपना साकार होता नज़र आ रहा है।।
पगों में सभी के अतुल शक्ति होगी।
मनों में सभी के नवल भक्ति होगी।।
खुला प्यार का स्त्रोत, जी भर नहा लो।
नई रागनी के नए गीत गा लो।।
सुधाधार में वेग सा आ रहा है,
पतित सा मनुज, शांति कुछ पा रहा है।
आज सपना साकार होता नज़र आ रहा है।।
जगेगी नवल चेतना मानवों की।
मिटेगी असद कल्पना दानवों की।
धरा पर नया स्वर्ग बस कर रहेगा।
तुम्हारी कथा विश्व मानव कहेगा।
कि इतिहास नूतन रचा जा रहा है,
मनुज देवता अब बना जा रहा है।
आज सपना साकार होता नज़र आ रहा है।
आज मेरा मन प्रफुल्लित हो कुछ गुनगुना रहा है।
रचयिताः विभा नैनीवाल
निवासीः राजस्थान