राशि सक्सैना अपनी अभिव्यक्ति को कलम के द्वारा 'बस यूँ ही' कॉलम में व्यक्त करती हैं इसी अनवरत चलते रहने वाले क्रम में राशि द्वारा रचित बस यूं ही के अन्तर्गत रिश्तों का आधार
राशि सक्सैनाः बस यूं ही......... रिश्तों का आधार
आज बहुत दिन बाद फिर से कुछ लिखने की कोशिश की है, इतने दिनों से एक ही सवाल का उत्तर ढूंढ़ने में लग गए कि रिश्तों का आधार क्या होना चाहिए , क्या हमारी सफलता का आधार हमारे रिश्ते हैं या हमारे रिश्तों का आधार हमारी सफलता है।
अक्सर हम इन दोनों ही में से किसी एक सवाल के पीछे ही पूरी कि पूरी ज़िंदगी खर्च कर देते हैं लेकिन इस से ऊपर भी बहुत कुछ है जैसे ये ज़िंदगी शायद किराय पर मिला एक साधन है जिस से इंसान को बहुत कुछ करना है पर शायद हम कभी रिश्ते तो कभी सफलता कि होड़ में जाया कर देते हैं।
क्या कभी को किसी अनजान कि ख़ुशी का माध्यम बना के देखा है या कभी कभी यूँ ही बेमतलब होकर आसमान को, या फूलों को देखा है, ये सब क्यों हैं क्या ये भी किसी के साथ बंधे हैं या मुक्त हैं हर जीव अपने जीवन को कैसे बिताता है, यही उसे खूबसूरत और यादगार बनता है। बिना किसी मतलब के अपना कर्म करना ही जीवन का मूल है यही बात समझना ज़रूरी है, ये रिश्ते तो शायद कुछ सुविधा मात्रा हैं जो शायद भगवान के आशीर्वाद के रूप में मिली हैं, तो इन्हे आधार मत बनाइये बस इनके साथ खुश रहने कि कोशिश करिये, क्योंकि शायद सबका अलग अलग कर्म क्षेत्र निर्धारित है तो सफलता और रिश्ते कभी भी पूरक नहीं हो सकते तो अगर खुल कर ईमानदारी से जियें तो यही ज्यादा महत्वपूर्ण है , ऐसा मेरा मानना है बाकि......