एक पिता द्वारा अपनी प्यारी सी बेटी के लिये हद्य से निकली कविता " मेरे पास है एक नन्ही परी "
कुलदीप सैनी द्वारा रचित मेरे पास है एक नन्ही परी
मेरे पास है एक नन्ही परी,
लगती है,सबको को वो भली,
है शैतानी जब वह करती,
मां से ही है सिर्फ, वह डरती
पापा को डरा कर, मनवाती अपनी बात
छोटी-छोटी बातों में दिखाती, मुझे आँख
हक है उसे मुझ पर, ज़ब तक है मेरी साँसो मे साँस
न्योछावर कर दूं सारी खुशी तुझ पर
नहीं होने दू तुझे, कभी उदास
है मेरे पास एक नन्ही परी नन्ही परी।
है मेरे पास एक नन्ही परी नन्ही परी।
कुलदीप सैनी