सुनीति त्यागी द्वारा रचित तेरे बिना ओ प्रियतम, भार हुई है जिंदगी
टूट गया है दिल का दर्पण, बिखर गई है जिंदगी
जो तेरे बिना ओ प्रियतम, भार हुई है ज़िंदगी।
तुमने कसमें खाईं थी, जीवन भर साथ निभाने की
साथ साथ ही जीने की, और साथ-साथ मर जाने की
भूल गए तुम कसमे वादे, तड़फ रही है जिंदगी
तेरे बिना ओ प्रियतम भार हुई है जिंदगी।
प्यार किया था तुमसे, पर तुम मुझसे दूर हुए
बड़े चाव से संजोए थे सपने, वो भी चकनाचूर हुए
टूटा प्यार टूट गये सपने, सिसक रही है जिंदगी
तेरे बिना ओ प्रियतम प्यारे, भार हुई है जिंदगी।
तेरे बिना ओ प्रियतम प्यारे, भार हुई है जिंदगी।।
सुनीति त्यागी
सुनीति त्यागी आप एक असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, के द्वारा रचित हद्य को छुती कविता....